अपनी ही मस्तियों में रहता है
चाँद अब सुर्खियों में रहता है
है अँधेरा भी उस के पास कहीं
सिमट कर हाशियों में रहता है
सब सितारे भी मेरे डूब चुके
दुख मेरी राशियों में रहता है
भर्म का आयना था टूट गया
दिल मेरा किरचियों में रहता है
दिल में इनसान के,का'बे में नहीं
न खुदा काशियों में रहता है