Wednesday, February 8, 2012

आज तू फिर उदास है शायद


हर सू हुज़न-ओ-हरास है शायद
आज तू फिर उदास है शायद


गुल पे रंग-ए-शबाब उतरा है
तू कहीं आस पास है शायद


सुब्ह भी धुन्दलकों में डूबी हुई
तेरे दुख से शनास है शायद


यह जो रंग और बू बहारों में
तुझ से ही इक्तबास है शायद


तेरे ओठों पे धनक की रंगत
अब्र का इल्तमास है शायद


रक्स पत्तों में तेरे आने से
कुछ हवा का हुलास है शायद


अपने ही खून में है डूबी हूई
आंख महव-ए-पियास है शायद


हवा मजनूं की तरह सर-गरदां
अदम-होश-ओ-हवास है शायद



No comments:

Post a Comment