नहीं साहिब मैं मदहोश नहीं
यह होश मुझे अब होश नहीं
कुछ गोआई भी , जुबां जो है !!
गूंगी तो हो ,खामोश नहीं
कुछ तारों और लकीरों का
तेरा ना मेरा दोष नहीं
सभ कहते हैं रब है , होगा !
लेकिन बा-चश्म - ओ -गोश नहीं
टूटा है पः , इशक पे आमादा
दिल को अब भी संतोष नहीं
बस शोला- बिआनी , आग-ज़नी
इक जब्र तो है पर जोश नहीं
चश्म -ऐ-मैगूना साकी मगर
मद हूँ पर बादा-नोश नहीं
दस्तार-ऐ -ब़र-सर -ऐ -वक़्त हो तू
जाते पल का पा-पोश नहीं
जाते पल का पा-पोश नहीं
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