Friday, January 20, 2012

इक तुम ही तो

मेरे जोश-ए-जनूँ
 की महकी दुआ
मेरे दिल की सदा
इक तुम ही तो हो;
मेरा दर्द-ए-निहाँ
की कार-ए-निवाज़
और उस की दवा
इक तुम ही तो हो;



फूल पँखङियों पे

 रन्ग सजा
मेरे खाबों के
 बागों में खिला
खुशबू से भरा
इक तुम ही तो हो;
चाहत का सिला
खिल फूल हुआ
ओर महकता-
इक तुम ही तो हो;



सावन रुत की

 रिमझिमती फुहार
भँबरे की सदा, 
कोयल की पुकार
घनघोर घटा-
इक तुम ही तो हो;
वल खाती हवा
सम बाद-ए-सबा
सावन की घटा-
इक तुम ही तो हो;



चेतर-सुबह को

 सरसों में खिली
खेतों में  जैसे
 धूप उगी
कलियों की अदा
इक तुम ही तो हो;
भँवरे का फिदा
मदमसत नवा
गुल-परकरमा
इक तुम ही तो हो;

सब तुम ही तो हो

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