फिर न दिल की बात अपनी कह सका
इक नज़र के फासिले पर ही तो था
ज़ह्न को राहत ना दिल को दे सुकून
क्या फिर ऐसी आशिकी से फायदा
दुनिया भर के दुख तुम्हें महसूस हों
यूँ बङा ले अपने दिल का दायिरा
ज़िंदगी इक कारज़ार-ए-मुस्तकिल
यह नहीं खा पी लिया और सो लिया
इश्क में गर हारना ही जीत है
जीतने दे यार को तू हार जा
चार-सू अब ज़ुल्मतों का शोर है
कौन था जो रात होते बुझ गया
रंग-ओ-बू सब , कैसे तुझ को भूल जाऊं,
तेरी हस्ती के निशाँ यह जा-ब-जा
अलविदा का वार तो हम सह गए
ज़ख्म को रिसना मगर था देर-पा
धीरे से वह कह गया हो अश्कबार
अब तलक दिल झेलता है ज़लज़ला
जी लिया मर मर के यूँ तेरे बगैर
मर ही जाता था न इतना हौसला
लाशों के ढेरों पे लश्कर ग़ामज़न
है यही तव्ारीख मूजब इर्तिक़ा
तेशे से सर फोङना लाज़िम उसे
मह्रबाँ जिस पे जुनूँ का देवता
ख़ार-ज़ार-ए-चश्म में ग़र्क़ाब हो
एक नाज़ुक खव्ाब था सो गल गया
इश्क में गर हारना ही जीत है
ReplyDeleteजीतने दे यार को तू हार जा
ਦਾਦ ਕਬੂਲ ਕਰੇਂ....
मर ही जाता था न इतना हौसला
?????
ਸਪਸਟ ਨਹੀਂ ਹੋਇਆ ...
इश्क में गर हारना ही जीत है
ReplyDeleteजीतने दे यार को तू हार जा
behad khoobsoorat !!
shukriya harkeerat ji.
ReplyDeletejsi sh'er da aap ji ne ishaaraa kiita hai,us ton mera bhaav ih si ki -ik beer ji maran di zura'at nahin hoyii dost de hir vich,baar baar saari umar marda riha. Zaahir hai ki shaayd behtar likhia ja sakda si
mamnoon hoon,Varsha ji ki aap ne hausla-afzaa'ii ki
ReplyDeleteइश्क में गर हारना ही जीत है
ReplyDeleteजीतने दे यार को तू हार जा
वाह...बहुत खूब...क्या बात है...लाजवाब.
नीरज
shukriya,neeraj saahib;aap jaise sukhan-shanaas ka yahaan aana hi ik aizaaz ki baat hai
ReplyDeleteमर ही जाता,था न इतना हौसला
ReplyDeleteok ab samajh aaya ....
ye word verification hta lein ...
ye word verification hta lein ..
ReplyDeleteyeh main nahin samajh paayaa